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हिंदी कविता मातृ दिवस पर

हिंदी कविता मातृ दिवस पर

धैर्य को धारण करती है,
तू ही धरती पर लाती है मां।
क्या तेरे लिए लिखूं मैं मां ,
तू ही लिखना मुझे सिखाती थी।।

मेरे रोने से पहले तू मां ,
दर्द को समझ जाती थी।
भूख लगने से पहले तू मां,
मुझको दूध पिलाती थी।।
क्या तेरे लिए लिखूं मैं मां,
तू ही लिखना मुझे सिखाती थी।।

चाहे कितनी भी विपत्ति हो,
तू दूर न हमको करती थी।
गोद में अपने बिठा कर तू ,
सब काम को पूरा करती थी।।
क्या तेरे लिए लिखूं मैं मां,
तू ही लिखना मुझे सिखाती थी।।

जीवन के शुरुआत समय में,
चलना तू ही सिखाती थी।
हर संकट को हरती थी तू ,
एहसास मुझे न दिलाती थी।।
क्या तेरे लिए लिखूं मैं मां,
तू ही लिखना मुझे सिखाती थी।।

जब बीमार पड़ता था मैं,
तू वैद्य भी बन जाती थी।
बनाकर जड़ी बूटी को तू,
खुद पीती और पिलाती थी।।
क्या तेरे लिए लिखूं मैं मां,
तू ही लिखना मुझे सिखाती थी।।

एक विनती है भगवन् से,
मां को हर पल खुशहाली दे,
हर जीवन में मुझको भी मां,
तेरे आंचल का ही सहारा दे।।
क्या तेरे लिए लिखूं मैं मां,
तू ही लिखना मुझे सिखाती थी।।

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रचनाकार का परिचय :-

पं. अभिषेक कुमार दूबेनाम :- अभिषेक कुमार दूबे
पिता – श्री उमेश दूबे
माता – श्रीमती मीना देवी
कर्मकाण्डविद्
वेद विभूषण :- आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान , मोतिहारी
वेदाचार्य (एम. ए.) “चत्वारि लब्ध स्वर्ण पदक प्राप्त”
शिक्षा शास्त्री :- सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
एम. ए (संस्कृत ) :- राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय , फैजाबाद

प्रकाशन :- 10 शोधपत्र , 100+ लेख पत्रिका एवं दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुके हैं।

स्थाई निवास :- परसौनी खेम, चकिया, पूर्वी चम्पारण, बिहार

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