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हिंदी कविता सब बाकी है

हिंदी कविता सब बाकी है

सब बाकी है,
सब पाना है,
मुझे दूर तक जाना हैं ।

ये मंजिल नहीं है मेरी,
मुझे और कठिनाइयों को निभाना है,
मुझे पाना है।

ये कठिनाईयाँ दोस्त है मेरी,
मुझे राहों में गिराती हैं रुलाती हैं,
फिर खड़ा होना सिखाती हैं।

ये कहती है,
मैं हूँ दुश्मन,
मैं कहती हूँ, तुम दोस्त हो।
तुझ बिन मैं कहाँ समझ पाऊं,
इस जिन्दगी की राहों को।

तुमने ही तो मुझे ताकत दी है।
गिराया इतनी बार तुमने,
अब कठिनाइयाँ का ईलम नहीं।

अब खुशी सहन नहीं होती है,
कठिनाईयों की आदत सी है।
क्योंकि तुम ही तो मेरी दोस्त हो,
साथ निभाया है तुमने,
अब कहाँ छोड़कर जाती हो।

खुशी पल भर की हैं,
और तुम उम्र भर की हो।


रचनाकार का परिचय

पूजा आचार्य

यह कविता हमें भेजी है पूजा आचार्य जी ने बीकानेर (राजस्थान) ने।

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