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हिंदी कविता – तेरा जो मन करे

हिंदी कविता - तेरा जो मन करे

तेरा जो मन करे तू वो लेने का ,
ज़िन्दग़ी बदलना है तो कुछ खो लेने का।

मेरे वाली मेरे बाजु में ही रहती है ,
सुन तू पतली ग़ली से हो लेने का।

मुझे पता है तेरी नज़र भी उसी पे है ,
पर साबुन से आंखें धो लेने का।

मैं उसको ही प्यार करूंगा ज़िन्दग़ी भर ,
इतनी गंभीरता से नहीं मुझको लेने का।

वो चली जाये अगर तुझे छोड़के मत पछताना ,
मेरे कंधे पे सर रखकर रो लेने का।

कभी हसीन रातों में तुझे उसकी याद आए ,
चिंता मत करना मेरे साथ सो लेने का।

‘यशु’ तेरी जान का अगर कोई दुश्मन बन जाए ,
साथ सबसे पहले उसको लेने का।

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यशु जानयशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और लेखक हैं। वे जालंधर सिटी से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं । उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं। वे अपनी उपलब्धियों को अपनी पत्नी श्रीमती मृदुला के प्रमुख योगदान के रूप में स्वीकार करते हैं।

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