Hriday Ki Vandana Kavita | हृदय की वंदना कविता

Hriday Ki Vandana Kavita – आप पढ़ रहे हैं हृदय की वंदना कविता :-

Hriday Ki Vandana Kavita
हृदय की वंदना कविता

Hriday Ki Vandana Kavita

करों को जोड़ कर हमने
लगाया ध्यान माँ का है,
झुले माँ की बाँहों में सब
अनुपम वात्सल्य माँ का है,
नहीं मांगा कनक कुंदन
नहीं मांगा रत्न आभूषण,
हृदय की वंदना से जो
आशीष मांगा वो माँ का है।

जगत में सांस गिनती की
फिरे हर एक काया है,
कहा जग ने कि पावन प्रेम
यहाँ तो बस इक माया है,
चलो हम आज ईश्वर से
अमरता मांग के आ जायें,
हमारे भावों से शुचित
प्रणय-श्रृगांर माँ का है।

हृदय की वंदना……….

मिटा दो लोभ की सुरत
बुझा दो प्यास तन मन की,
शरण में अपनी ले लो ‘माँ’
चाह कभी ना हो धन की,
पिता प्रेम का भाव अक्षर
पिता है स्वप्न का अंबर,
समंदर नेह का क्या कोई
सकल संसार माँ का है।

हृदय की वंदना……….

पढ़िए :- कविता मन की आँखों से | Kavita Man Ki Aankhon Se

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धन्यवाद।

Praveen Kucheria

Praveen Kucheria

मेरा नाम प्रवीण हैं। मैं हैदराबाद में रहता हूँ। मुझे बचपन से ही लिखने का शौक है ,मैं अपनी माँ की याद में अक्सर कुछ ना कुछ लिखता रहता हूँ ,मैं चाहूंगा कि मेरी रचनाएं सभी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें।

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