Poem On Ganga River In Hindi – धरती को अपे जल से पवित्र करती भागीरथी पर कविता , गंगा नदी पर कविता :-
Poem On Ganga River In Hindi
गंगा नदी पर कविता
प्रचीन गौरवमयी अविरल धारा बहती ।।
स्वर्ग , धरती ओर पाताल मे ।।
माँ गंगा नाम से पुकारी जाती ।।
स्पर्श भोलेनाथजी का पाकर ।।
पवित्र जल धरती पर आया। ।।
शीतल पावन जल की धारा बहती ।।
उपासना भारतभूमि पर देवी सी होती । ।।
उदगम होता गोमुख से ।।
जा मिलती गंगासागर मे ।।
सभय्ता संस्कृति की प्रतीक ।।
लोगों के जीने का सहारा ।।
गंगोत्री, हरिद्वार , प्रयागराज
ओर काशी है पवित्र स्थान ।।
कुंभ, मकर संक्रांति या हो गंगा दशहरा ।।
दूर दूर से भक्तजन आते मोक्ष पाने को डुबकी लगाते ।।
अस्थि विसर्जन कर जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाते।।
पुण्य सलिला , पाप नाशिनी , मोक्ष परदायिनी
व जाह्नवी नाम से जानी जाती ।।
माँ गंगा नाम से पुकारी जाती ।।
माँ गंगा नाम से पुकारी जाती ।।
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यह कविता हमें भेजी है भगत सिंह जी ने दिल्ली से।
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