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कविता कितना आसान होता है

कविता कितना आसान होता है

कितना आसान होता है ये कहना
कि तुम समझ नहीं सकते,
कितना आसान होता है ये मानना
कि तुम समझ नही सकते।

कितना आसान होता है ये सोचना
कि तुम समझ नहीं सकते,
कभी सोचा तुमने कि
सामने वाले को समझें या
खुद ही समझ लिया कि वो शख्स
समझेगा नहीं ।

आखिर हम खुद ही क्यों मान लेते हैं
कि वो शख्स समझेगा नही हमें,
कभी थोड़ी सी सोच बदल के देखो,
कभी थोड़ी सी पहल करके तो देखो।

कभी थोड़ी सी कोशिश करके तो देखो
कभी उस पथ पे चलके तो देखो,
क्या पता वो समझ जाए,
इस बदलाव से कई रिश्ते सवर जाए
और देखते देखते दुनिया निखर जाए ।।

पढ़िए :- किसी की याद में कविता | हम तो बस यादों के दम पर


रचनाकार का परिचय

रुची

यह कविता हमें भेजी है रुचि जी ने दिल्ली से।

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