कविता माँ की जय जयकार | Kavita Maa Ki Jai Jaikar

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कविता माँ की जय जयकार

कविता माँ की जय जयकार

बिठा के अपने मन मंदिर में
माँ की जय जयकार करो !
फूल मिलें चाहे मिले हो कांटे
सबको हंसके स्वीकार करो !!

सारी दुनिया को छोड़ कर
हम शरण तुम्हारी आए हैं !
जिसमें हो हम सबका भला
वह अब मेरे करतार करो !!

बिठा के अपने मन मंदिर में
माँ की जय जयकार करो !

तुम बिन उजड़ न जाए कहीं
देखों मेरे जीवन की बगिया !
देके अपनी भक्ति की शक्ति
जीवन मेरा गुलजार करो !!

बिठा के अपने मन मंदिर में
माँ की जय जयकार करो !

यहां पर जिंदगी छोटी है
और सफर बहुत ही लंबा है !
मझधार में अटकी है नैया
माँ मेरा बेड़ा पार करो !!

बिठा के अपने मन मंदिर में
माँ की जय जयकार करो !

तन मन से करते हैं हम
रात ओर दिन भक्ति तुम्हारी !
कभी हमारी भी सुध लेकर
हम पर भी उपकार करो !!

बिठा के अपने मन मंदिर में
माँ की जय जयकार करो !

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धन्यवाद।

Praveen Kucheria

Praveen Kucheria

मेरा नाम प्रवीण हैं। मैं हैदराबाद में रहता हूँ। मुझे बचपन से ही लिखने का शौक है ,मैं अपनी माँ की याद में अक्सर कुछ ना कुछ लिखता रहता हूँ ,मैं चाहूंगा कि मेरी रचनाएं सभी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें।

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