पढ़िए प्रज्ञा श्रीवास्तव “प्रज्ञांञ्जलि” जी द्वारा रचित माँ पर कविता :-
माँ पर कविता
Maa Par Kavita
माँ इबादत है पूजा है,
माँ भगवान का नाम दूजा है।
माँ ममता का झरना है,
माँ की दुआओं में ही फूलना फलना है।
माँ आशाओं का पलना है,
माँ के आशीर्वाद से ही जीवन भर चलना है।
माँ की लोरी में सुकून है,
माँ चंदन है, कुमकुम है, प्रसून है।
माँ श्रद्धा है,त्याग है ,तपस्या है,
माँ बाधाओं में भी हिम्मत का हिस्सा है।
माँ के आँचल में ममत्व का अहसास है,
माँ संवेदना है, भावना है, विश्वास है।
माँ के हाथों में बहुत स्वाद है,
माँ बिन बोले ही समझ जाती सब राज है।
माँ गीता है ,वेद है, कुरान है,
माँ हर समस्या का समाधान है।
माँ शगुन है,आरती है,
माँ जीवन को संवारती है।
माँ साहस है,शक्ति है,
माँ ईश्वर की भक्ति है।
माँ कुदरत की अनमोल कृति है,
माँ का बिछुड़ना सबसे बड़ी क्षति है।
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रचनाकार का परिचय
नाम – प्रज्ञा श्रीवास्तव “प्रज्ञाञ्जलि” (सुपुत्री स्व. बंकट बिहारी “पागल” प्रसिद्ध हास्य कवि जयपुर)
ईमेल – pragya121172@gmail.com
शिक्षा – एम ए, बी.एड
व्यवसाय – शिक्षण कार्य के साथ-साथ, जयपुर से प्रकाशित हिन्दी मासिक पत्रिका “विशिखा” मे अतिथि संपादक के तौर पर कार्यरत। सन् 2005 से लेखन प्रारंभ किया। काव्य मंच- कई मंचों पर काव्य पाठ किया।
प्रकाशित पुस्तकें- साझा काव्य संग्रह अल्फाज के गुंचे और विहग प्रीति व कई अन्य पत्रिकाओं में रचनाऐं प्रकाशित।
सम्मान- साहित्यार्चन, युवात्कर्ष साहित्य मंच, मुक्तक लोक, ए पी सी,आमंत्रण, जकासा, राजस्थान लेखिका मंच, साहित्य संगम, वामा साहित्य मंच ( इंदौर ) आदि कई समूहों द्वारा सम्मानित।
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धन्यवाद।
प्रज्ञा जी की कविता लेखनी बहुत ही सुंदर है। अगली कविता का इन्तज़ार रहेगा