Bhagwan Vishnu Par Kavita – आप पढ़ रहे हैं भगवान विष्णु पर कविता :-
Bhagwan Vishnu Par Kavita
भगवान विष्णु पर कविता
हे चतुर्भुज जगत के पालनहारी।
गदा, शंख कमल सुदर्शन धारी।।
हे जगत के पालनकर्ता, परम उपकारी।
हर युग में तुने,सबकी विपदा तारी।।
द्वापर में कहलाए तुम कृष्ण मुरारी।
त्रेतायुग में श्रीराम महाधनुर्धारी।।
पुरी कर दो जो मुझमें है, कमी।
हे विश्वरुप चौदह भुवन के स्वामी।
हे अनंत,अविनाशी तुम हो अजर-अमर।
तुम बसे हो घट-घट कण-कण पर।।
हे नर नारायण पालन हार।
मैं आयी हूॅं,भगवन् तेरे द्वार।।
दे दो दाता दर्शन मुझको।
तेरे इस दुखयारा भक्तन को।।
राम रुप जन-जन के रखवाले।
मेरे गिरधारी सुन बांसुरी वाले।।
कृपा करो हे कृपालू।
हे दीनबंधु दीनदयालू।।
मेरे इस मन मन्दिर में आ जाओ ना।
आकर ज्ञान की दिप तुम जलाओ ना।।
इस अंधेरे मन को उजियारा कर दो।
साहस,शील, विनम्र हृदय मेंभर दो।।
हे श्रीहरि गरूड़ के वाहन वाले।
हे पालन हार जगत के रखवाले।।
डुबती नैय्या पार कर दो।
खाली झोली मेरे भर दो।।
दे दो जगदीश्वर इतनी शक्ति।
प्रतिदिन करूं मैं तेरी भक्ति।।
तेरे आराधना में मैं डुबा रहूं।
तेरे भजन कीर्तन मैं गाता रहूं।।
हे नाथ नारायण मेरे विधाता।
हम सबको सद्बुद्धि दे दाता।
मैं क्या जानूं तुम्हारी आराधना।
फिर भी सुन्न ले प्रभु मेरी,प्रार्थना।।
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यह कविता हमें भेजी है बिसेन कुमार यादव जी ने गाँव-दोन्देकला, रायपुर, छत्तीसगढ़ से।
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