कविताएँ सिर्फ शब्दों का ताना बना नहीं होता। एक रचनाकार जब कविता लिखता है तो उसमें क्या भाव प्रकट करता है और उसकी कविता किसे संबोधित करती है। यही सब बता रही है यह कविता पर कविता :-

कविता पर कविता

कविता पर कविता

कविता है अंतर्मन की भावना
कवियों की सम्पूर्ण है साधना,
कविता पूजा है कलम की
कविता ईश्वर की है प्रार्थना,

शब्दो की माला है कविता
आनंदरस प्याला है कविता,
डूबते चले जाते हैं कवि
ऐसी मुधशाला है कविता।

कविता सौंदर्य अनुपम श्रृंगार है
किसीकी वेदना भरी पुकार है,
कविता है गागर में सागर
कविता में ही सारे अलंकार है,

निर्बलों की ताकत है कविता
गुमनामो की पहचान है कविता,
दबा दी गयी आवाज जिनकी
उनके दर्द का एहसास है कविता।

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