माँ सरस्वती जी का अहवाह्न करती माँ सरस्वती वंदना हिंदी कविता ” मातु उर में रहो “
माँ सरस्वती वंदना हिंदी कविता
मातु उर में रहो माँ रहो कंठ में,
आदि में भी रहो माँ रहो अंत मे ।।
लेखनी में रहो लेख में भी रहो ,
शब्द सुरमति रहे स्नेह की गंध में ।।
नित्य नूतन बहाओ सरित काव्य की ,
गीत में भी रहो माँ रहो छन्द में ।।
द्वेष-विद्वेष जग में न आये कभी,
लिप्त कोई न हो व्यक्ति छल छंद में ।।
राग में भी विरत हम विरत ही रहें,
मति सुमति ही रहे मातु मति मन्द में ।।
धारणा हो धवल हो विमल कामना ,
शुद्ध हो भावना विश्व के वृन्द में ।।
हो कृपा कोर , सुत पर सतत शारदे,
गान हो माँ तेरे पाद अरविन्द में ।।
……….मातु उर में रहो माँ रहो कंठ में……..।।
पढ़िए :- हास्य व्यंग्य कविता लक्ष्मी और सरस्वती
रचनाकार का परिचय
नाम – एस बी प्रजापति
पिता – श्री मुन्ना लाल
पता- हमीरपुर यू पी
रुचि- कविता लिखना एवम अंग्रेजी अध्यापन ।
“ माँ सरस्वती वंदना हिंदी कविता ” ( Maa Saraswati Vandana Hindi Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
सुन्दर रचना