माँ की याद में कविता | Maa Ki Yaad Me Kavita

माँ की याद में कविता
माँ की याद में कविता

मां यदि तुम होती,,
सारे सपने मेरे होते.
इन सपनों का मै होता

घर का आंगन..
घर में झूला,
इन झूलों पर मैं होता।

मां यदि तुम होती,,
सारे सपने मेरे होते..
ना होती कोई कविता, कहानी,
ना रोता जैसे रोता हूं,
तेरे बिन ना जाने कैसे
इतनी रातें सोता हूं।

सिर पर आंचल, होंठ पर लोरी,
इन लोरी में मैं होता,
मेरी मुट्ठी मे आंचल ,
इन आंचल का मैं होता,
मां होती यदि पास मेरे तुम
नींद चैन की मैं सोता।

मां यदि तुम होती,,,
सारे सपने मेरे होते
इन सपनों का मै होता।

बड़ा हुआ हूं अब मैं,
पर याद तुम्हारी आती हैं,
घर से ऑफिस, ऑफिस से घर
बिना टिफिन के जाता हूं,
भूखे आता भूखे रहता
भूखे ही सो जाता हूं।

मेरे टिफिन में भी रस मलाई,
इन रस मलाई का मैं होता,
मां यदि तुम होती
बिन खाए ना मैं सोता

मां यदि तुम होती…
सारे सपने मेरे होते,,,,
इन सपनों का मैं होता।

पढ़िए :- माँ की याद पर कविता “माँ याद तुम्हारी आती है”


यह कविता हमें भेजी है ऋचा पांडे जी ने मुंबई से।

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