मंच पर हिंदी कविता :- मिला ऐसा मंच ये
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मंच पर हिंदी कविता
शब्दों के भावों से मचल ही जाते हैं
तभी हम जैसे दिल पिघल जाते हैं
नदियों के साथ यूं बहते चले जायें
सीमा लांघ तालाब से निकल जाते हैं।
अभी तो चट्टानों का ही सामना कर रहे हैं
पत्थरों को पिघलाने का प्रयास कर रहे हैं
सागर से मिलकर मिठास खो ना जाये
मंजिल से ना भटके कोशिश यही कर रहे हैं।
मिला ऐसा मंच ये तो किस्मत की बात है
कवियों के मिलते यहां दिल के हर जज्बात है
खिलती है कलियाँ किरणों की
कई फूल कई रंग साथ तारों की बारात है।
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यह कविता हमें भेजी है सारिका अग्रवाल जी ने जो कि बिरतामोड, नेपाल में रहती हैं।
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मेरा नाम दिव्या मिश्रा है मैं प्रयागराज (संगम की नगरी) से हु। मै कविताये ,कहानियाँ ,शायरी,लिखती हु और अभी मैं( your quote) ऐप पर हु ,जहां मै अपनी लिखी हुई कविताये और quotes को पोस्ट करती रहती हु ।