जलेश्वरी गेंदले जी द्वारा रचित ” मनोबल पर कविता ” :-
मनोबल पर कविता
मन तो मेरा आसमान में उड़ने का है
सोच नहीं है मेरी अब पीछे मुड़ने की
मन चाहा मुकाम पाने के अरमान हैं
यही तो स्वयं का मनोबल है।
पास आऊँ वो सारी बात सुनाऊँ
जिनसे मिली हैं खुशियां सारी
जहाँ हम सब हैं एक समान,
सम्मान, स्वतंत्रता के अधिकारी
यही तो स्वयं का मनोबल है।
चली थी अकेली मैं बड़े गर्व से
सोचा था कि साथ आएंगे सभी
रुक गए कुछ लोग पीछे ही
मैं समय के साथ चलती रही
यही तो स्वयं का तो मनोबल है।
पक्का है दिल में मन का विश्वास
रोके चाहे कोई भी मेरी राह
चल पड़ी हूँ लेकर कलम हाथ
लिखूंगी मैं बीता कल औऱ आज़
सच में यही तो मेरा मनोबल है।
बिखरे हैं अब एक हो जाएं
अभिमान बिना जिस्म बेजान है
जाना मैंने कोई नहीं तो क्या हुआ
अब सकारात्मक विचार क्रांति है
आभार आपसे कलम रूपी हथियार मिला
क्योंकि! यही तो मेरा मनोबल है।
पढ़िए :- प्रेरणादायक कविता “अंकुर से बढ़ते जीवन में “
रचनाकार का परिचय
![जलेश्वरी गेंदले](http://hindipyala.com/wp-content/uploads/2022/01/Jaleshwari-Gendle.jpeg)
यह कविता हमें भेजी है जलेश्वरी गेंदले जी ने पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़) से।
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