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Nari Samman Par Kavita
नारी सम्मान पर कविता

Nari Samman Par Kavita

नर नारी में भेद रहा है
कि नर से भारी नारी 
मर्यादा में कौन बड़ा है?
यह प्रश्न बड़ा है न्यारी

दोष अहिल्या किया कौन?
पत्थर सी वह बेजान बनी,
पुरुष पौरूष प्रधान क्यों?
नारी क्यों अनजान बनी?

रावण सीता को छु न सका,
वह अग्नि परीक्षा पास हुयी
मर्यादा पुरुषोत्तम राम बने,
फिर सीता क्यों प्रतित्याग गयी?

नारी के संग हुआ छलावा,
हर पग पर नारी ठगी गयी,
बनी दामिनी दुर्गा काली,
क्यों अबला नारी कही गयी?

गयी सतायी बोल सकी न,
बनी रही अबला नारी,
हर युग में वह बनी खिलौना,
फिर कैसे नर से भारी

हरण पुरुष का हुआ नही,
न वस्त्र हरण है हुआ कभी
यह दोहरा मर्यादा कैसी
चीर हरण हो रहा अभी

मर्यादा की लक्ष्मण रेखा,
नर, नारी न पार करो
मर्यादा में जीना सीखो
सब सबका सम्मान करो

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रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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