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नव वर्ष की कविता

नव वर्ष की कविता

उत्साह है नव वर्ष का,
उल्लास और हर्ष का।

जाते वर्ष ने बहुत कुछ बताया,
धैर्य संयम से हमें जीना सिखाया।

कुछ ने इसमें नाम पाया,
कुछ ने अपना काम खोया।

खुशियों के भरे चारों तरफ कल हो,
कोरोना महामारी का अब हल हो ।

कोरोना कितनों नहीं जान गवहाई,
किसानों ने अपने हक की आवाज उठाई।

जाति धर्म के नाम पर कोई खेल ना हो,
सब प्रेम से रहे इसमें कोई मेल ना हो।

चारों तरफ एक उमंग है,
नए सोच विचार की तरंग है।

अपने सपनों को इस साल में सच करना,
उनको पाने के लिए हौसला हिम्मत के साथ लड़ना।

कहीं मेरी भूल हुई हो तो माफ करना,
मन में मेरे लिए घर ना हो तो उसको साफ करना।

आप सभी को नव वर्ष की बधाई,
सुनहरे पल में इस बार जनवरी आई।

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दास बैरागी

यह कविता हमें भेजी है दास बैरागी जी ने इंदौर ( म. प्र.) से। दास बैरागी जी 12वीं के छात्र हैं और कवि समाज सेवा आदि का काम भी करते हैं।

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