हिन्दुओ के पराजय की कड़वी सच्चाई बताने वाली ” हिंदुत्व पर कविता ” –
हिंदुत्व पर कविता
जब जब हिंदू हुआ पराजित अपनों की गद्दारी थी।
वरना सेना महाराणा की उन मुग़लों पर भारी थी।।
मुगल वंश के सीने पर जब सूर्यवंश का भाला था।
मानसिंह से राजपूतों ने दखल बीच में डाला था।।
सत्रह बार मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज से हारा था।
छलबल का करके प्रयोग उस शूरवीर को मारा था ।।
पृथ्वीराज से हिंद वीर हर जंग में बाजी मार गए ।
पर जयचंद ने की गद्दारी जिससे हिंन्दू हार गए।।
कांपा था औरंगजेब मर्राठों की तलवारों से ।
रक्त रंज साम्राज्य हुआ शिवाजी के तेज प्रहारों से ।।
गद्दारी करने वाला वो ही दुश्मन का राही था ।
मामा वीर शिवाजी का मुगलों का बना सिपाही था ।।
बापूजी थे मौन अहिंसा के अध्याय रहे पढ़ते।
भगत सिंह से युवा वीर फांसी के फंदे पर गए चढ़ते।।
निजी स्वार्थ कर लिया पूर्ण फिर धूर्तों का धन चाट लिया।
उन मुगलों के खातिर तुमने मेरा भारत बांट दिया।।
होश हवास रखो कायम वरना अनर्थ हो जाएगा।
टुकड़ों में बट गया देश तो हिंद कहां कहलायेगा।।
अभी वक्त है जाग उठो हे भारत की संतानों तुम।
राम कृष्ण अर्जुन के वंशज वीरों में बलवान हो तुम।।
वही हौसला लाना है जैसे तब तेग़ संभारी थी।
इस भारत की वीर कहानी सब दुनिया पर भारी थी ।।
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रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है आर्यपुत्र आर्यन जी ने। आर्यपुत्र आर्यन जी भागवत कथा प्रवक्ता व हिन्दी के रचनाकार हैं। इन्होंने पुस्तकें भी लिखी हैं एवं इनकी कई कविताएं व गीत उपलब्ध हैं।
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धन्यवाद।
Bahut achi poem h,kya m is poem ko youtube pr dal skti hu?
बिल्कुल , जितना अधिक शेयर की जाएगी उतना अधिक हिंदुओ को जाग्रत किया का सकेगा