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6 हिन्दी कविताएं

6 हिन्दी कविताएं

जिंदगी खूबसूरत है।

देख सको तो देखो
तितली के रंग-बिरंगे परो को
बादलों से घिरे नीले आसमां को
फूलों से भरी क्यारियों को।

महसूस कर सको तो करो
मुस्कान से उपजे एहसास को
अपनों के संग गुजारे लम्हात को
स्पर्श के जज़्बात को
कि ज़िंदगी खूबसूरत है।।


कोई बात बने

मन से मन की डोर मिले
तो कोई बात बने

गले मिले सब भूलकर गिले
तो कोई बात बने

जात-पात के सब भेद मिटे
तो कोई बात बने

नफरत की दीवार हटे
तो कोई बात बने

अमन का सपना बने हकीकत
तो कोई बात बने

दशदगर्दो की न हो हुकूमत
तो कोई बात बने

तरक्की की सब चढ़े सीढ़ियां
तो कोई बात बने।।


किसी को देखकर क्यों

किसी को देखकर क्यों
जागते है दबे अरमां
किसी को देखकर क्यों
होता है अपने होने का गुमां

किसी को देखकर क्यों
हयात लगती है इतनी खूबसूरत
किसी को देखकर क्यों
बदलती है शक्ल- ओ- सूरत
किसी को देख कर क्यों…।।


क्या-क्या रंग दिखाती रही

जिंदगी हमें तन्हा चलाती रही
ख्वाब पलकों से सजाती रही
सफर-ए-मुफलिस में
कैसे-कैसे दिन दिखाती रही

कभी जख्मों की धूप में
हमको तपाती रही
कभी छांव बन कर
जख्मों को सहलाती रही

कभी सहरा मे बूंद-बूंद सहलाती रही
बनके प्यास सारी बुझाती रही
एक मुकम्मल कश्मकश रही ताउम्र
ये ज़िंदगी जाने हमें
क्या-क्या रंग दिखाती रही।।


कलियां आज चुनने दे

आज ना जाओ दूर हमसे
पहलू मैं अपने रहने दे
दिल में दबी बात
आज मुझे कहने दे

रहगुजर है तू मेरी
साथ मुझे चलने दे
है छिपे जो राज सारे
आज इन्हे तू खुलने दे

हमनफस तू हमनवां तू
ख्वाब मुझे बुनने दे
इश्क की राह में मुझको
कलियां आज चुनने दे

गीत कोई प्यार का
आज मुझे सुनने दे
धड़कनों में नशा-ए-इश्क
आज तू घुलने दे।।


पिघलने दे

वक्त के शज़र पे
ख्वाबों की कलियां खिलने दे
हसीं के लम्हे दस्तक देते
झरोखें दिलो के खुलने दे

हल्की-हल्की धूप में
अनजान डगर पे चलने दे
हौले-हौले बीते जिंदगानी
कतरा कतरा पिघलने दे

जिंदगी के बाग में
फूल वफा का चुनने दे
बदलती रंगत बदलती फिज़ा
खुद को भी बदलने दे।।

पढ़िए :- ज्ञान की कविता | भ्रम की पोटली | Gyan Ki Kavita


रचनाकार का परिचय

विशाल शुक्ला

यह कविता हमें भेजी है विशाल शुक्ला जी ने मिसरोद, भोपाल, मध्यप्रदेश से।

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