कलयुग में हो रहे घोर पापों में एक पाप बलात्कार। जिसकी बलि न जाने कितनी नारिया चढ़ गयी हैं। एक पिता जो सारी उम्र बेटियों को पलता है और उन्हें लड़कों की तरह रखता है। उसके सारे सपने चूर-चोर हो जाते हैं। जब उसके जिगर के टुकड़े कोई और रौंद कर चला जाता है। ऐसी ही भावना को आइये पढ़ते हैं ( Bitiya Par Kavita ) बिटिया पर कविता में:-

बिटिया पर कविता

बिटिया पर कविता

वो गुड़िया सबकी नैनों का तारा थी
थकाती जिंदगी की एक सहारा थी।

वक्त बढ़ता चला आगे अपनी रफ्तार
वो गुड़िया भी पहुंच गई सोलह पार।

जमाने के लिए वो कमसिन जवान है
पिता के लिए अब भी वही नादान है।

अब इस रस्ते कम अपनों के हाथ हैं
कहने को तो कुछ गिद्ध भी साथ हैं।

पिता समझाता दुनिया के उसूलों को
बिटिया तो प्यार करती रही फूलों को।

नजरअंदाज करती रही बुरी नजर को
कोई घाट लगाए बैठा तेरी खबर को।

आखिर में हुआ वहीं जैसा कि होता है
पिता भरे कमाने में फूट फूट रोता है।

हर जुबान पर चार दिन चर्चा आम रहेगी
हर बिटिया के लिए डरावनी शाम रहेगी।

पढ़िए :- बेटी पर कविता “हम सबकी तकदीर सी होती है बेटियाँ”


संदीप सिंधवालमैं संदीप सिंधवाल संजू पुत्र श्री तुंगडी सिंधवाल रौठिया रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का निवासी हूं। मैंने हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. ए. किया है तथा कलनरी आर्ट फूड साइंस में बी. एस. सी. किया है। 5 साल दिल्ली के एक होटल में शेफ की नौकरी करने के पश्चात मै 5 साल से ऑस्ट्रेलिया के समीप पोर्ट मोरस्बी में कार्यरत हूं। मेरा व्यवसाय मेरे लेखन से बिल्कुल विपरीत है।

विदेश में रहकर भी मैंने बहुत कविताएं लिखी हैं। मै सन 2000 से कविताएं लिखता हूं जो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। मैट्रिक पास करने के बाद ही मेरी कविता रचना मै रुचि बढ़ी। भगवान रुद्र पर कविता लिखना मेरा सौभाग्य है। विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भरसक प्रयास करता हूं।

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