Van Sanrakshan Par Kavita – वन संरक्षण पर कविता – दोस्तों जीवन में वनों का बहुत ही ज्यादा महत्व है, वनों से हमें बहुत सी वस्तुवें मिलती हैं जो हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं और उनके बिना जीवन संभव नहीं है , आइये पढ़ते हैं डॉ. सरला सिंह जी की वन संरक्षण पर कविता – “काटते जंगल वे बनाते हैं”।
Van Sanrakshan Par Kavita
वन संरक्षण पर कविता
काटते जंगल वे बनाते हैं,
कंकरीटों के फिर महल ।
दिलो दिमाग़ पर हावी है ,
धन दौलत की बस चाह।
रखना उन्हें सजाकर फिर
दीवारों में ,छतों में ,फर्श में।
रहते कभी थे एक घर मे ,
चार भाई मिलकर के साथ ।
आज चार कमरों में आ गये ,
बस एक माता पिता दो बच्चे।
सबको पड़ी है दिखावट की ,
चार जन तो चार कार चाहिए।
एक घर में चार जन हैं फिर ,
चार एसी भी लगा हो जरूर।
कहते हो बौद्धिक सब बेकार,
करे जब काम सभी बेबुनियाद।
फैक्टरियों की जग में भरमार ,
बमबारूदों का बढ़ता कारोबार।
मनाते विश्व पर्यावरणदिवस तुम,
कहो क्यो,ये तो निरा दिखावा ।
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वनों से हमें लकड़ी, हवा, पानी,ऑक्सीजन, ,खाने पीने की चीजें और कच्चा माल मिलता है। फिर भी दुनिया वनों का महत्व नहीं समझ पा रही है और जंगलों का कटना जारी है जो कि बेहद डरावना भविष्य लाने वाली है अगर हम आज नहीं सम्भले और ऐसे ही जंगलों के कटान चलता रहा तो धरती पर जीवन नष्ट हो जाएगा।
रचनाकार का परिचय
नाम –डॉ.सरला सिंह
माता का नाम--श्रीमति कैलाश देवी
पिता का नाम––स्व. श्री बासुदेव सिंह
पति का नाम-–श्री राजेश्वर सिंह
जन्मतिथि –– चार अप्रैल
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