कोरोना नहीं है एक बीमारी
कोरोना नहीं है एक बीमारी,
जान रहा है दुनिया सारी ।
यह तो है एक महामारी ,
जिसमें उलझे हैं दुनिया सारी ।।
सूना सूना है धरती और समंदर
इंसान बन गया है भूख से बंदर
जिसके आगे ना टिका सिकंदर ,
डर से बैठा है घर के सब अंदर ।।
छोड़ दिया सब बाहर का काम,
घर में है मचा अब कोहराम ।
रास नहीं आता है आराम ,
बेबस हो गए अल्लाह और राम ।
अपाहिज भी पैदल चल रहा है,
वैज्ञानिक भी अब हाथ मल रहा है
विपत्ति नहीं अब टल रहा है,
बिना आग के धरती जल रहा है।
ठीक नहीं है दुनिया का हाल,
डॉक्टर-सिपाही हो गए बेहाल !
पूछता नहीं अब कोई हाल-चाल ,
इसके आगे सब है कंगाल ।
खाने पीने को तरस रहा,
आंखों से आंसू बरस रहा ।
ना कोई अब हर्ष रहा ,
अंधेरा, प्रकाश को गरस रहा।।
दोहरा रहा है देखो इतिहास,
उठने लगा चीन पर से विश्वास।
नहीं रहा नेताओं से आस,
चारों तरफ है लाश-ही-लाश।।
राशन पानी हो गया खत्म ,
नहीं हुआ करोना वायरस कम।
अब नहीं रहा देह में दम ,
फिर भी कहते हैं जीतेंगे हम।।
बिना काम बाहर मत जाना,
मिलने जुलने से कर दो माना ।
मुंह पर मास्क जरूर लगाना,
साबुन से हाथ धोकर खाना ।।
पढ़िए :- हिंदी कविता “जिसका नाम कोरोना है”
यह कविता हमें भेजी है एसपी राज जी ने बेगुसराय से।
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