Emotional Maa Par Kavita – आप पढ़ रहे हैं माँ पर भावुक कविता ” माँ दर्द बहुत है सीने में ” :-

Emotional Maa Par Kavita

Emotional Maa Par Kavita

वो पहले सी हसरत अब
नहीं रही है जीने में।
आँचल में अपने छिपा ले
माँ दर्द बहुत है सीने में।।

दर-दर ठोकर खाई मैंने
पर पीड़ा को बोल न पाया
भावों के अनकहे मोती को
संग कागज के तोल न पाया

क्या शब्दों की बूंदो को मैं
अविरल अब टपकनें दूँ माँ
अहसासों को कैसे लिख दूँ
क्या नयनों को बरसने दूँ माँ

जीवन अमृत बन ना पाया
जहर मिला था पीने में।
वो पहले सी हसरत अब
नहीं रही है जीने में।

कहीं उलझने कहीं सुलझने
मन में यह अवरोध बना था
जंजीरों-सी बंधी ख्वाहिशें
गुमनामी का शोर घना था

तन की काया को देखा पर
मन के घाव कभी ना देखे
सुखे अश्रु के चिन्हो को
अन्तर्मन ने ही सना था

विपदाओं के आलिंगन का
घर बना था सीने में।
वो पहले सी हसरत अब
नहीं रही है जीने में।

मिलना तुम्हारा फिर से माँ
मानों रब सा नव उपहार है
महक उठेगी बगिया भी
बंजर जीवन में प्यार है

मैं ठहरा खारा पानी सा
कितना कुछ कह जाता हूँ
चाहे हो सुख या दु:ख
अविरल सा बह जाता हूँ

थामे रखना डोर साँसों की
मन मन्दिर के जीने में।
वो पहले सी हसरत अब
नहीं रही है जीने में।

पढ़िए :- माँ की याद में कविता | एक तुम्हारा होना माँ


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धन्यवाद।

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