हिंदी कविता बदलना अपना दृष्टिकोण | Badalna Apna Drishtikon

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हिंदी कविता बदलना अपना दृष्टिकोण

चलो स्वयं से निर्णय करें हम
विपत्ति का खोजेगे समाधान।
एकाग्र अगर हम हो सके तो
पत्थर में प्रकट होंगे भगवान।।

पथ में होंगे अनेकों अनुभव
कभी चंचल मन मानेगा हार।
प्रयास करना व्यर्थ ही होगा
विफलता कहेगी यह बारंबार।।

किंतु तेरे समक्ष हे! मानव
प्रत्येक विपत्ति होगी ढेर।
सफलता कदम चूमेगी तेरे
धैर्य रखना होगा थोड़ी देर।।

संकट तुझसे बड़ा ना कोई
पर्वत तूने का घमंड तोड़ा।
विराट सरिता की लहरों को
अपनी बुद्धिमता से मोड़ा।।

जीवन की किसी राह में
एक क्षण ना होना निराश।
अपने गुणों को करना प्रखर
कभी ना खोना तू विश्वास।।

बाधा कोई जब ना सुलझे
ध्यान लगाना रहना मौन।
समस्या में ही हल होगा
बदलना अपना दृष्टिकोण।।

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नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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