हिंदी कविता बढ़ते कदम | Hindi Kavita Badhte Kadam

आप पढ़ रहे हैं ( Hindi Kavita Badhte Kadam ) हिंदी कविता बढ़ते कदम :-

Hindi Kavita Badhte Kadam
हिंदी कविता बढ़ते कदम

हिंदी कविता बढ़ते कदम

तान ले यदि तीर अपना मंजिल की ओर
सोचकर उम्मीदों पर खरे उतर रहे हम ,
दुनिया तुम्हारा नाम क्यों याद रखेगी ?
बस छोड़ दे तीर यह समझकर ,
है केवल सोच और कर्मों में दम।

प्रकृति के हो खिलौने निराले ,
खेल-खेल में हो रोशन कर दे चमन ;
टूट जाओगे समय से पहले समझते हो यही ,
समय के चक्र से अछूता है कौन ?
समय पर जीना मरना ही है प्रकृति का नियम
चल पड़ जिधर मंजिल है तेरी ,
मत देख नीचे कंकड़ पड़ा ,
देंगे केवल ठोकरे ना रुकेंगे तेरे बढ़ते कदम।

मंजिल गले लगा लेगी जिस दिन तुम्हें ,
मिटेगी हर क्लेष जलेगी प्यार की ज्योति मन में,
लगेगा छू लिया आसमान आंखों से बरसेगी मोती ,
जीवन का रहस्य समझ पाया ना कोई ,
बस समर्पण कर दे खुद को,
सफलता खुद चूमेगी तेरी बढ़ते कदम।।

पढ़िए :- प्रेरणादायक बाल कविता नजरिया | Prernadayak Bal Kavita


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

“ हिंदी कविता बढ़ते कदम ” ( Hindi Kavita Badhte Kadam ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *