आप पढ़ रहे हैं ( Hindi Kavita Main Corona Hun ) हिंदी कविता : मैं कोरोना हूँ :-

हिंदी कविता : मैं कोरोना हूँ

हिंदी कविता : मैं कोरोना हूँ

मैं एक विश्व्यापी महामारी हूँ,
मैं विध्वंसक विनाशकारी हूँ।

मैं तो सबका रोना हूँ,
मैं नोवेल कोरोना हूँ।

मैं घर के अन्दर – बाहर में,
मैं गाँव, गली, शहर में।

मैं चीन, इटली, जर्मनी जापान में,
मैं स्पेन, अमेरिका, हिंदुस्तान में।

स्वदेश हो या परदेश में,
मैं फ़ैल चुका हर देश में।

जहाँ देखो वहां नरसंहार और नरों की बलि है,
हर तरफ हाहाकार और मची खलबली है।

इंसानों को मौत की नींद सुला रहा हूँ,
मैं मानवता को धीरे-धीरे मिटा रहा हूँ।

जीवन जहाँ-जहाँ है,
मेरा खौफ वहां-वहां है।

अब तो तबाही की वजह मैं हूँ,
दुनिया में हर जगह मैं हूँ।

म्यान से निकला खंजर हूँ मैं,
इस फैली हुयी तबाही का मंजर हूँ मैं।

दुनिया के हर कोने में मेरा आतंक फैला है,
हर दिशा में इन्सान अब त्राहि-त्राहि बोला है।

तुम्हें घर के अन्दर रहना मजबूर कर दिया मैंने,
तुम्हारा जीना भी अब दूभर कर दिया मैंने।

मौत मैं संग में लाया हूँ,
मैं संकट बन के आया हूँ।

किसी को भी न प्यारा हूँ,
मैं कोरोना हत्यारा हूँ।

पढ़िए :- विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता “कितनी सुंदर छटा निराली”


बिसेन कुमार यादव

यह कविता हमें भेजी है बिसेन कुमार यादव जी ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से।

“ हिंदी कविता : मैं कोरोना हूँ ” ( Hindi Kavita Main Corona Hun ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply