मजदूर दिवस पर एक कविता | Mazdoor Diwas Poem Hindi

आप पढ़ रहे हैं 7 सितम्बर को मनाये जाने वाले मजदूर दिवस को समर्पित ( Mazdoor Diwas Poem In Hindi ) मजदूर दिवस पर एक कविता ” मैं मजदूर हूँ ”

मजदूर दिवस पर एक कविता

मजदूर दिवस पर एक कविता

मैं धनुष से निकला बाण हूँ
मैं नव निर्माण हूँ,

मैं नव निर्माता हूँ
मैं ही अन्नदाता हूँ,

मैं कारखानों में काम करने वाला
मैं सम्पूर्ण जग का बोझ ढोने वाला,

मैं मंडियों, उद्योगों में, चाय के बागानों में
मैं खेत में, होटल में, कोयले की खानों में,

मैं हूँ तो सब कुछ पूरा है
मेरा बिना ये जगत अधूरा है,

मेरी मेहनत से लहराती खेतों में बाली
मैं हूँ लोगों के जीवन की खुशहाली,

काम पूरा हो सबका मन में यही चाव है
मेरी ज़िन्दगी में भले ही सुख संपदा का अभाव है,

मेरी किस्मत में है टूटा-फूटा छप्पर
मैं हूँ मजदूर मेरा यही मुकद्दर,

बस वक़्त के हाथों मैं मजबूर हूँ
इसीलिए आज भी मैं मजदूर हूँ।

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बिसेन कुमार यादव

यह कविता हमें भेजी है बिसेन कुमार यादव जी ने गाँव-दोन्देकला, रायपुर, छत्तीसगढ़ से।

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