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हिंदुस्तान की कविता

हिंदुस्तान की कविता

नहला अरि की रक्त धार
चमका दो हिंदुस्तान को,
मान बढा़ने वीरों का
मिटवा दो आतंकिस्तान को।

वंदेमातरम वंदेमातरम…….
वंदेमातरम वंदेमातरम…….

देख सपूतों की कुर्बानी
आज तिरंगा झुका पडा़,
खेल सियासी देख-देख के
हर सेनानी रूका पडा़,
पश्चिम की सीमा पे देखो
शैतानों के ठाठ है,
रोता आँसू खून के ये
अपना श्मशानी घाट है,
खौल रहा है देख खून
अब वीरों के बलिदान को।
मान बढा़ने वीरों…..

वंदेमातरम वंदेमातरम…….
वंदेमातरम वंदेमातरम…….

ऊंची करो मशाले अपनी
आतंकित जन जाग पड़े,
शत्रु कटें, अब वो भय वाली
छायाएँ भी भाग पड़े,
सदियों से शोषित आत्माओं
को भारत बनता है घर,
सब पंथों के सद्ग्रंथो का
गुंजन होता यहाँ अमर,
जन-गंगा की ज्वार लहर
बन, आने दो तुफान को।
मान बढा़ने वीरों…..

वंदेमातरम वंदेमातरम……
वंदेमातरम वंदेमातरम……

शस्यश्यामला सुजला सफला
इस धरती के नाम बड़े,
गंगा , जमुना , सरस्वती से
सिंचित पावन धाम खड़े,
ज्ञान-रश्मि को दिया बिखेर
किया विश्व कल्याण है,
सतत-सत्य-रत धर्म-प्राण
वो अपना देश महान है,
गाके गौरव गाथा उनकी
अमर करो गुणगान को।
मान बढा़ने वीरों…..

वंदेमातरम वंदेमातरम…….
वंदेमातरम वंदेमातरम…….

जब अपनी नदियों की लहरे
डोल डोल मदमाती है,
खौफ दिखा शत्रु को अपना
गौरव से इतराती है,
ऐसी अटल अवस्था में भी
कल क्यों पल-पल टलता है,
शांति प्रेम उपदेशों से अब
जी अपना न बहलता है,
भरो हृदय मे ओज, चलो
अपना सर्वश बलिदान करो।
मान बढा़ने वीरों…..

वंदेमातरम वंदेमातरम…….
वंदेमातरम वंदेमातरम…….

गाँधी, नेहरू, तिलक, सुभाष
सबका ये प्यारा देश है,
जियो और जीने दो का
देता सबको संदेश है,
प्रहरी बनकर खडा़ हिमालय
जिसके उत्तरी द्वार पर,
हिंद महासागर दक्षिण में
जिसके लिये विशेष है,
गाने लगी अब दसों दिशाऐं
वीरों के यशगान को।
मान बढा़ने वीरों…..

वंदेमातरम वंदेमातरम…….
वंदेमातरम वंदेमातरम…….

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