Ye Mera Haq Hai Hindi Poem | आप पढ़ रहे हैं कविता ये मेरा हक है :-

कविता ये मेरा हक है

कविता ये मेरा हक है

बड़े प्यार से, मां के गोद में, बैठे बैठे पूछा
गीले बिस्तर पर क्यों सोती? मुझे सुलाती सूखा
तीखा तीखा लात मरता तुझको लगता मीठा
खाना खाती मेरे खातिर, सो न जाऊं भूखा
सिर सहलाती माता बोली, इसमें क्या शक है?
ये मेरा हक है।

कोरा कागज मेरा मन था, तू लेखनी, स्याही,
प्यार भरा लोरी लिखकर तू, सुंदर गीत सुनायी,
चल न पाता गिर गिर जाता, चलना मुझे सिखायी,
रिश्तों की तू मीठी बोली,कोयल सी बुलवायी,
मेरा बेटा बड़ा दुलारा,तु कितना नटखट है 
ये मेरा हक है।

खेलने का जब जिद मैं करता, कंधे पर बैठायी,
खुद को तु छोटी बन जाती, बड़ा मुझे बतलायी,
दूर कहीं आंखों से ओझल, आंसू झर झर आते,
आदर करना मुझे सिखाती, मेहमान जब आते,
इतना छोटा बड़ा सयाना,खुब करता बक-बक है,
ये मेरा हक है।

मैं छोटा हूं ,जब बड़ा बनूंगा, आसमान सा ऊंचा,
संग तेरे मैं खुब घूमूंगा,घरती गगन समूचा,
मुझे बताना घर ईश्वर का,मिलके कहूंगा उनसे
धरती छोड़ यहां क्यों बैठे, क्या मां से हो रूठे
जब तक जियूं मैं तेरी दुनिया,तु मेरा दीपक है 
ये मेरा हक है।

बनकर बड़ा तु नाम कमाये, ये मेरा आशीष तुम्हें,
जीवन का इक सपना मेरे,देती हूं मैं सीख तुम्हें,
मां से बड़ा न दुनिया कोई,तीर्थ बड़ा न धाम कोई,
मां की सेवा ही पूजा है,तेरा तीरथ धाम यही,
छोटा सा बेटा तु मेरा, मेरे जीवन तक है,
ये मेरा हक है।

पढ़िए :- मिट्टी की महिमा पर कविता | हाँ मैं मिट्टी हूँ


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

“ कविता ये मेरा हक है ” ( Ye Mera Haq Hai Hindi Poem ) आपको कैसी लगी ? कविता ये मेरा हक है के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply