भगवान श्री कृष्ण के चरणों में एक दर्शनअभिलाषी भक्त की करुण पुकार पर कविता ” कृष्ण पर कविता ”
कृष्ण पर कविता
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।
आओ कन्हाई आओ कन्हाई।।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा–
कान्हा तूने राधा से प्रीत लगाई।
प्रीत लगा के कैसे भूले कन्हाई।
गोकुल की गलियों में फिरती बावरी सी।
तन की सुध बिसराई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
आओ कन्हाई—–
यमुना तट पर आ जाओ कान्हा।
मधुर मुरलिया सुना जाओ कान्हा
आके गले से लगा जाओ कान्हा।
क्यूँ कर प्रीत भुलाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।
आओ कन्हाई—
आकर कान्हा फिर रास रचा दो।
सावन के झूले में आकर झुला दो।
प्यासी है अँखियां श्याम दरश दिखादो।
इक तू ही मेरा सहाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।
आओ कन्हाई——
तेरे मिलन की मैने आस लगाई।
मैं तेरी मीरा तू है मेरा कन्हाई।
जनम जनम से प्रीत सगाई।
निकला क्यूँ हरजाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
आओ कन्हाई आओ कन्हाई।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा।।
पढ़िए :- कृष्ण प्रेम कविता “सुन कान्हा मेरी याद”
रचनाकार का परिचय :-
यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा “ जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017 साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )
इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा।
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