हमारे सामाज में फ़ैल रही बुराइयों का अंत करने के लिए परशुराम से को आकर पाप मिटाने की प्रार्थना पर कविता ” परशुराम पर कविता ”

परशुराम पर कविता

परशुराम पर कविता

हे धीर वीर परशुराम
आज धरा पर आ जाओ।
ले कृपाण फिर हाथ प्रभू
धरती का भार मिटाओ।

गली गली में रावण है
बैठा है जाल बिछाये।
खींच रहा चीर दुशासन
आकर अब कौन बचाये।
सुनो विनय रेणुका सुवन
अब आज कृपाण धुमाओ।।
ले कृपाण फिर हाथ प्रभू
धरती का भार मिटाओ।।

बेटियाँ लुटती है नित दिन
रोती है हाथ पसारे।
आओ हरि विष्णु अवतार,
तुम बिन अब कौन उबारे।
अन्यायी का दमन करो,
धरती को स्वर्ग बनाओ।
ले कृपाण फिर हाथ प्रभू
धरती का भार मिटाओ।।

कोरोना का कहर मिटा,
जग में खुशहाली लाये।
एक तुम्ही तारण हारे,
अक्षय तृतीया पर आये।
देख रहा जग आशा से,
अब आकर प्राण बचाओ।
ले कृपाण फिर हाथ प्रभू ,
धरती का भार मिटाओ।।

अन्नदाता किसान तड़प,
कर आज फँदे पर झूले।
रो रहे हैं माता पिता,
कैसे कर यह दुख भूले।
इस विपदा से उबार कर,
जगत कल्याण कर जाओ।।
ले कृपाण फिर हाथ प्रभू,
धरती का भार मिटाओ।।

पढ़िए :- भगवान राम पर कविता “श्रीराम कहलाते”


रचनाकार का परिचय :-

श्रीमती केवरा यदु " मीरा "यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा “ जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017 साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )

इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा।

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