देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत वतन पर कविता ” ये है मेरा वतन ” :-

वतन पर कविता

वतन पर कविता

ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन।

ये देश है गौतम गांधी का
ये देश है नेहरू शास्त्री का
यहाँ तिरंगा प्यारा है
यहाँ गंग जमुन की धारा है
मेरा तन मन मेरा है जीवन।

ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन।

यहाँ तुलसी और कबीर है
यहाँ प्रीत का रंग अबीर है
यहाँ राम और रहीम है
यहाँ कृष्ण और करीम है
यहाँ गीता और कुरान है
यहाँ बाइबिल और अजान है
मेरे माथे का है ये चंदन।

ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन।

ये मेरी भारत माता है
यहाँ सभी जन गण मन गाता है
यहाँ खेतों की हरियाली है
पर्वतों पर केसर की क्यारी है
यहाँ होली और दिवाली है
यहाँ ईद और कव्वाली है
यहाँ की माटी को है वंदन।

ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन।

यहाँ तुलसी कृत रामायण है
हर घर लक्ष्मी नारायण है
यहाँ सूरदास भी बसता है
जिनका कर कृष्ण पकड़ता है
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारा है
हिन्दू-मुस्लिम में भाई चारा है
मेरे देश में है चैनो अमन।

ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन।
ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन।

पढ़िए :- वतन पर कविता “वतन से प्यार करते है”


रचनाकार का परिचय :-

श्रीमती केवरा यदु " मीरा "

यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा “ जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017  साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )

इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा।

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