आप पढ़ रहे हैं ( Maa Par Kavita ) माँ पर कविता :-
Maa Par Kavita
माँ पर कविता
मां की डांट में भी
छुपा है , मां का प्यार
हाथो का दुलार।।
मुंह पर है मीठी मुस्कान
हंसी ठिठोली का साथ
ऐसा है , मां का प्यार।।
मां शब्द ही ऐसा है
जिसे परिभाषा के
दायरे में नहीं बांधा है।।
मां के लिए संभव हो तो
बच्चो के लिए चांद तारे
जमी पर उतार दे।।
बच्चो का व्यक्तित्व
गीली मिट्टी की तरह है
उसे ढांचे में डाल दे।।
बच्चो , घर परिवार की
छोटी सी दुनिया में खुद को
संवारती है मां।।
जो मेरे हर पल साथ है
मेरी हर खुशी हर गम में
जिसने साथ दिया है,
वह है मेरी मां ।।
सुंदर सपनो जैसी है
मेरी मां
कभी हंसाती ,
कभी गुदगुदाती है
कदम – कदम पर
रास्ता दिखाकर
सपनो को पूरा कराती है
मेरी मां।।
अंधेरों में चांद जैसे
झिलमिलाती तो कभी
हर पल हर सुख दुख में
तारो की छाया देती है
मेरी मां।।
बड़ों का आदर , बच्चो से
प्यार करना सिखाती हैं।
जिंदगी से लड़ना सिखाती है
!! मेरी मां!!
मेरे दिल की हर एक
बात समझने वाली
मेरे सबसे करीब
मेरी दोस्त ,
सब कुछ है
!!मेरी मां!!
पढ़िए :- स्वर्गीय माँ की याद पर कविता “मैं टूटता बहुत हूँ माँ”
रचनाकार का परिचय
नाम – संध्या शर्मा
स्नाकोत्तर – एम. एससी . ( वनस्पति विज्ञान ) 71%
“विश्वविद्यालय की प्रावण्य सूची में स्थान ”
(देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर )
साहित्यिक परिचय – 1 साल से लिखना प्रारम्भ किया है जिसमे 50 से ज्यादा कविताएं तथा 5
लेख है जो अलग – अलग वेबसाइट रचनाएं प्रकाशित है।
जिसमे कुछ को सम्मान मिला है , कुछ को सराहना , कुछ को मासिक पत्रिका में स्थान।।
लेखन मेरा शोक है जिसमें मुझे लिखने पर अंदर से खुशी मिलती हैं। शब्द गहरे नहीं होते है मेरी रचनाओं के सीखने का प्रयास कर रही हूं। मंच पटल पर बहोत कुछ सीखने को मिलता है। वर्तमान में सिविल सर्विस , प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के साथ लेखन कार्य कर रही हूं।
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