परिवार पर कविता :- यही अनमोल परिवार है

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परिवार पर कविता

परिवार पर कविता

कंधो पर जिम्मेदारी
अर्धांगिनी को ले साथ चले
साईकल के बहाने
एक दूजे की मुस्कान बने

अपनी गति के बराबर
संगिनी को साईकल बिठाया
आगे बढ़ाने हेतु
कभी पीछे से धकेला होगा
आज उसीके पीछे देखो
कैसे दौड़ लगाता आया

साईकल तो एक बहाना है
जन्मों का रिश्ता निभाना है
चलेंगे हम साथ अगर
तभी लगता सफर सुहाना है

मात-पिता की अठखेलियां
बच्चे की बनी हैं खुशियां
चलता इससे संसार है
यही अनमोल परिवार है।

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सारिका अग्रवालयह कविता हमें भेजी है सारिका अग्रवाल जी ने जो कि बिरतामोड, नेपाल  में रहती हैं।

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