प्रभु पर कविता – पढ़िए सदानन्द प्रसाद जी द्वारा रचित प्रभु पर कविता ” प्रभु ने रचा है ऐसा संसार ” :-

प्रभु पर कविता

प्रभु पर कविता

प्रभु ने रचा है ऐसा संसार,
जीवों के हैं अनेक प्रकार,
सबके नहीं मिलते आकार,
प्रभु हैं अद्भुत कलाकार।

आप हैं ईश्वर निराकार,
जीवों को बना दिया साकार,
कैसा दिया सबको अधिकार,
दिख रहा विकार-ही-विकार।

कण-कण में हैं बसने वाले,
दुनिया का दुख मिटाने वाले,
सब जीवों के हैं कितने प्यारे !
परम पिता हैं भोले-भाले।

आप हैं पृथ्वी के परमानन्द,
ये अंधकार दूर भगाते नन्द,
कभी साकार न होते अनन्त,
क्षण में करे दुनिया का अंत।

इस सृष्टि के प्रभु रचनाकार,
कभी नहीं रखते हैं अहंकार,
पृथ्वी पर आए बाढ़-अकाल,
प्रभु करते सबका उपकार,
प्रभु हैं एक अद्भुत कलाकार।

ये है प्रभु का मायावी संसार,
जीव-जंतुओं में उभरे प्यार,
कभी जीवों में होता सद्भाव,
कभी-कभी होता बिलगाव।

सर्वव्यापी आंखों से ओझल,
फिर भी दिल उनका कोमल,
संसार में रहते सबल-निबल,
किंतु सबके हैं प्रभु दिलवर।

हमारे प्रभु हैं अनादि-अनन्त,
कोई जान न पाए उनका अंत,
इस जग में नहीं है कोई पंथ,
खोज सका न अनादि-अनन्त।

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रचनाकार का परिचय

सदानन्द प्रसाद

यह कविता हमें भेजी है सदानन्द प्रसाद जी ने संग्रामपुर,लखीसराय ( बिहार ) से। इनकी शिक्षा स्नातक,डिप. इन.फार्मेसी है। ये योग प्रशिक्षित हैं व भारतीय खाद्य निगम सेवा से निवृत्त हैं। साथ ही बिहार राज्य उपभोक्ता सहकारी संघ,लि., पटना में निदेशक भी रहे हैं।

प्रारंभ से ही समाज सेवा में इनकी अभिरुचि रही है व समाजवादी विचार धारा रही है। कर्पूरी टाइम्स एवं निरोग संवाद पत्रिका का संपादन कार्य भी इन्होंने किया है। विज्ञान का छात्र होने के बावजूद बचपन से ही हिंदी लेखन-पाठन में अभिरुचि रही है।
सामाजिक ,सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि पर इनकी काव्य रचनायें हैं। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन से जुड़ा हैं और हिंदी काव्य गोष्ठी में भाग लेते हैं।

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