प्यार करना आसान होता है लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल। सच्चा प्यार किसी पर अपना हक़ जताना नहीं होता बल्कि उसे आज़ादी देना होता है। इसी सन्दर्भ में आइये पढ़ते हैं सच्चे प्यार पर कविता ” दिमाग न इश्क में लगाना ”
सच्चे प्यार पर कविता
मना लेना हर बार यूँ
आसां नही सरकार यूँ,
वफ़ा ए दिल नही स्याना
दिमाग न इश्क में लगाना।
एक बार बस कह दो प्रिये
दिल तेरा फिर हो जाये,
फितुर लैला मजनु का है
गुरुर अपने प्यार पर है।
मिल जाये जब पंछी प्यार
लगा जाये मर्ज बेकार,
इसके चक्कर मे यारों
न बनना देवदास प्यारों।
प्यार कोई भूख नही यारा
खाया पिया लिया चटकारा,
ले सको अगर तुम जिम्मेदारी
तभी पालो ये अजीब बीमारी।
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यह कविता हमें भेजी है सारिका अग्रवाल जी ने जो कि बिरतामोड, नेपाल में रहती हैं।
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bahot pyara likhe aap