26 नवंबर को मनाए जाने वाले संविधान दिवस पर कविता :-

संविधान दिवस पर कविता

संविधान दिवस पर कविता

मुझसे बनी पहचान भारत की
बंगले कोठी और ईमारत की।
विश्व में विस्तृत और महान हूँ
मै भारत का विधि विधान हूँ।।

मैने ही दिए अधिकार सभी
मुझसे ही मिले उपहार सभी।
मैं लोकतन्त्र का विधि विधान हूँ
हां! मैं भारत का संविधान हूँ।।

दुनिया में सबसे बड़ा हूँ मैं
हक अधिकारों को लड़ा हूँ मैं।
मुझसे हर जीत है तुमने जीती
ना सोचा मुझसे क्या बीती।।

जात धर्म के षणयंत्र से
मैने तुम्हें छुड़ाया है।
खुश रहो सब मिलकर के
ये मैने तुम्हें बताया है।।

महिलाओं की शान हूँ मैं
हर भारतीय का अभिमान हूँ।
जानोगे मुझे तो सब कुछ हूँ
ना जानो तो अनजान हूँ मैं।।

आप सबका भविष्य हूँ मैं
चल रहा जो वो वर्तमान हूँ मैं।
सबका हित है मुझमें समाहित
भारत का संविधान हूँ मैं।।

पढ़िए :- राष्ट्र भक्ति कविता “भारती के मान का गुमान”


रचनाकार का परिचय

हरदीप बौद्ध

यह कविता हमें भेजी है हरदीप बौद्ध जी ने गाँव अखत्यारपुर जिला बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) से।

“ संविधान दिवस पर कविता ” ( Samvidhan Diwas Par Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply