कभी कभी हम जिस भी संस्था के लिए काम करते हैं। तो ऐसा भी समय आता है जब संस्था से जुड़े लोगों को प्रेरणा की जरूरत पड़ती है या फिर संस्था का गुणगान करना होता है तब आप यह कविता सुना सकते हैं। “संस्था” शब्द के जगह पे अपनी संस्था का नाम रख के इस संस्था पर कविता :- आओ इस संस्था को आगे बढ़ाएं को पढ़ा जा सकता है।

संस्था पर कविता

संस्था पर कविता

संस्था एक उद्यम है उत्तम करम का,
उद्यम से मध्यम का जीवन सँवरता !
सँवरते हुए जीना- खाना – कमाना ,
कमाते हुए ख्वाब मन का निखरता !

बनें मान्यवर मार्गदर्शक हमारे,
श्रम की सजगता सभी में जगाएं !!
संस्था से हम हैं तो हमसे है संस्था,
आओ इस संस्था को आगे बढ़ाएं !!

शुभम श्रोत की ज्योत की एक आहट,
मनोहर महक की मधुर मुस्कराहट !
मिलती दुवाएँ जो स्नेहीजनों से,
वही दिल की दुनिया को देती है राहत !

बढ़ो, बढ़ चलो हम भी बढ़ते चलेंगे
रिश्तों की एक श्रृंखला जोड़ जाएँ !
संस्था से हम हैं तो हमसे है संस्था,
आओ इस संस्था को आगे बढ़ाएं !!

बीता हुआ कल हमें सीख देता,
समाधान का सूत्र भी ठीक देता I
बनें हैं सभी फ़र्ज़ के मुख्य पूरक,
परिश्रम ही मंज़िल को तारीख देता !

चलो लोक-सेवा की निष्ठा को लेकर,
पर हित के भावों में जीवन बिताएं !
संस्था से हम हैं तो हमसे है संस्था,
आओ इस संस्था को आगे बढ़ाएं !!

उन्हें क्या पड़ी थी जो उद्यम चलाते,
हमें कोई अनुबंध में क्यूँ बुलाते !
पर उनके हृदयँ भी हैं करुणा के सागर,
वही पालन पोषण की सृष्टि सजाते !

हमारी लगन में अमन की है चाहत,
चाहत में राहत का समभाव लाएं !
संस्था से हम हैं तो हमसे है संस्थान,
आओ इस संस्था को आगे बढ़ाएं !!

संस्था शमां है तो परवानें हम हैं,
संस्था मुहब्बत तो दीवानें हम हैं !
संस्था तपस्या तो हम हैं तपस्वी,
संस्था की धुन में मधुर तानें हम हैं !

संस्था की हस्ती बिहसती रहे ,
सर्वदा हम ये संस्था से पहचान पाएं !
संस्था से हम हैं तो हमसे है संस्थान,
आओ इस संस्था को आगे बढ़ाएं !!

पढ़िए :- प्रेरणाप्रद कविता “पुरुषार्थ करो”


रचनाकार का परिचय

जितेंद्र कुमार यादव

नाम – जितेंद्र कुमार यादव

धाम – अतरौरा केराकत जौनपुर उत्तरप्रदेश

स्थाई धाम – जोगेश्वरी पश्चिम मुंबई

शिक्षा – स्नातक

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