आप पढ़ रहे हैं आंसू पर कविता – बूंद

आंसू पर कविता

आंसू पर कविता

बूंद हूं मैं एक खारी,
छलकी..
हो चक्षु से भारी,

बहकी बन सुख- दुख की मारी,
बूंद हूं मैं एक खारी..।

मन, हृदय सब गम से भारी…
कर गया आंखों को हारी,
बोझ सारा मैं समेटे,
चल पड़ी..
हो मैं दीवानी।
बूंद हूं मैं एक खारी…।

सुख अधिक छलका दे मुझको…
दुख अधिक कर देता भारी,
प्रेम में भरती हृदय को,
संताप में कर देती खाली।

बूंद हूं मैं एक खारी..


रचनाकार का परिचय

निमिषा सिंघल

नाम : निमिषा सिंघल
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम.फिल, प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: 46, लाजपत कुंज-1, आगरा

निमिषा जी का एक कविता संग्रह, व अनेक सांझा काव्य संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित हैं। इसके साथ ही अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं की वेबसाइट पर कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।

उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जिनमे अमृता प्रीतम स्मृति कवयित्री सम्मान, बागेश्वरी साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान सहित कई अन्य पुरुस्कार भी हैं।

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धन्यवाद।

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