दोस्त पर कविता

दोस्त पर कविता

जिंदगी में जब से तू आया है,
सारी खुशियों ने अपना डेरा
मेरे पास ही बनाया है,
मैं अम्बर सा प्यासा हूँ,
तू समुद्र की बहती धारा है,
हमको अपनी जान से ज्यादा
ए दोस्त तू प्यारा है।

तेरे साथ होने से मुझे कभी
किसी चीज कमी ना आई
सारे नाते सारे रिश्ते की
तू है परछाई,
मुझे बचाया गिरने से जिसने
वो हाथ तुम्हारा है,
हमको अपनी जान से ज्यादा
ए दोस्त तू प्यारा है।

तू हमेशा खुश रहे,
बस यही कामना हम करते हैं,
तुम्हारे लिए सब कुछ कर जाऊं,
किसी से भी न मैं डरता हूँ,
तू भी तो दौड़ा आया है,
हमने जब-जब तुझे बुलाया है,
हमको अपनी जान से ज्यादा
ए दोस्त तू प्यारा है।

कोई छिपी हुयी ये बात नहीं
जग सारा ये जानता है,
एक तू ही सहारा
एक तू ही हमारा है,
हमको अपनी जान से ज्यादा
ए दोस्त तू प्यारा है।

पढ़िए :- दोस्ती पर कविता “जबसे तुमसा दोस्त मिला है”


प्रकाश रंजन मिश्रनाम :- प्रकाश रंजन मिश्र
पिता :- श्री राज कुमारमिश्र
माता :- श्रीमती मणी देवी
जन्मतिथि :- 05/05/1996
पद-: सहायकप्राध्यापक, वेद-विभाग(अ.), राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान)
अध्यायन स्थल-: श्रीसोमनाथसंस्कृतविश्वविद्यालय,वेरावल, (गुजरात)
आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान वेद विद्यालय मोतिहारी (बिहार)
वेद विभूषण वेदाचार्य(M.A), नेट, गुजरात सेट, लब्धस्वर्णपदक, विद्यावारिधि(ph.d) प्रवेश
डिप्लोमा कोर्स :- योग, संस्कृतशिक्षण,मन्दिरव्यवस्थापन,कम्प्युटर एप्लिकेशन।
प्रकाशन :- 7 पुस्तक एवं 15 शोधपत्र,10 कविता
सम्मान :- ज्योतिष रत्न, श्री अर्जुन तिवारी संस्कृत साहित्य पुरस्कार से सम्मानित

स्थायीपता :- ग्राम व पोस्ट – डुमरा, थाना -कोटवा ,जिला- पूर्वी चंपारण (बिहार)

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