घर का महत्त्व बताती ( Ghar Par Kavita ) घर पर कविता ” अपना घर, घर होता है ”
घर पर कविता
पापा के द्वारा,बनाया
अपना घर ।
अपना घर, घर होता है।
जैसा भी हो, पर प्यारा होता है।
कभी भी करो आना जाना।
नहीं बुनना पड़ता कोई ताना-बाना।
अपना घर होता सबसे प्यारा।
खुशी प्रेम की बहती है रसधारा।
नींद भी आ ही जाती है।
चाहे बिस्तर कैसा भी होता।
घर के मालिक भी हम, नौकर भी हम।
जिसका होता है अपना घर,
उसे भला क्या डर होता।
घर हमें सुरक्षा का एहसास कराता।
जब घर का कोई सदस्य पास होता।
अपने घर में कैसे भी रहो मस्त।
कैसे भी दिन देखे पर कभी नहीं हुए पस्त।
सबका हो अपना एक घर।
जिसका सबके लिए खुला रहे हमेशा दर।
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