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कोरोना पर हिंदी में कविता

कोरोना पर हिंदी में कविता

कोरोना ने मानव जीवन और
प्रकृति में मचाया है हाहाकार।
समय की मांग के कारण सबने
घर में रहना किया है स्वीकार।।

हंसता खेलता हुआ जीवन
कुछ दिन में ही लुप्त हुआ।
अदृश्य शत्रु बनकर है आया
जैसे बर्बादी का गुप्त धुआ।।

लोगों का प्रफुल्लित जीवन
पल भर में बना है शमशान।
हरी भरी मनमोहक प्रकृति को
कोरोना ने किया रेगिस्तान।।

मानव की समस्त त्रुटियों से
लगता है रूठ गया भगवान।
प्रकृति संग किया खिलवाड़
इसलिए जन जन है परेशान।।

चलो मिलकर संकल्प करे
प्रकृति पर नहीं करेंगे बार।
एक एक नन्हा वृक्ष लगाकर
भाई सा इनसे करेगे दुलार।।

तभी ईश्वर हमें देंगे आशीष
पुनः सुनहरा सा होगा नजारा।
धरा का आंचल होगा प्रफुल्ल
रोशन होगा विटप सा सितारा।।

पढ़िए :- ” कोई इसे कोरोना कह ले ” कोरोना पर कविता


नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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