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पढ़ाई पर बाल कविता

पढ़ाई पर बाल कविता

देखो मां घर के बाहर
आया है कोई खिलौने वाला।
पास है उसके तीर धनुष
और रंगीन मोतियों की माला।।

डमरू डम डम बजने वाली
बंदूक लिए खड़ा है सिपाही।
मुझको कागज कलम भायी
यही सफल जीवन का राही।।

ला दो मां मुझको यह तुम
करूँगा तेरे सपने सच सारे।
लोगों के अज्ञानी जीवन में
जलाऊंगा ज्ञान के सितारे।।

रात दिन घोर परिश्रम करके
अर्जित करूंगा अमूल्य ज्ञान।
सभी लोगों को दूंगा यह संदेश
कम न आंको तुम हो महान।।

सच्चाई और प्रकाश प्रेम का
प्रकृति में फैलेगा चारों ओर।
अपराध जगत से होगा लुप्त
हर दिवस होगी सुखद भोर।।

सरहद के पार दुश्मनों को
कलम की ताकत दिखलाऊंगा।
शत्रु को अपना बना कर भाई
परिवार की माला पहनाऊंगा।।

अनमोल विचारों की शक्ति को
मै संपूर्ण संसार में फैलाऊंगा।
नकारात्मक लोगों के विचार को
कलम के दम पर बदल जाऊंगा।।

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नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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