मेरे हो तुम कविता | Kavita Mere Ho Tum

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मेरे हो तुम कविता

मेरे हो तुम कविता

मेरे हो तुम, मैं हूं तुम्हारी।
सदा बनी रहे, यह जोड़ी हमारी।

तू मेरा राजा, मैं तेरी रानी।
मुझे बना के रखना, सदा पटरानी।

मेरा विश्वास कभी, कम ना होने देना।
मैं भटक जाऊं तो, मुझे संभाल लेना।

तेरे एक इशारे पर, मैं मर मिट जाऊंगी।
तेरी एक आवाज पर, खड़ी तूझे पास पाऊंगी।

तू मेरा चांद, मैं तेरी चांदनी बन।
फैलाऊंगी शीतलता, शीतल होगा हर मन।

मेरी एक ही अरदास, आखिर तक मिले साथ।
सदा सुहागिन कहलाऊं, चिरनिद्रा सोऊ दे हाथ में हाथ।

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रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"

हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति ( रिसोर्स पर्सन ) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते। मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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