रामधारी सिंह दिनकर पर कविता :- दिनकर की चमक

रामधारी सिंह दिनकर पर कविता

 रामधारी सिंह दिनकर पर कविता

पश्चिम में छिपता दिनेश जो,उदित होता फिर नित्य नभ में।
है चकित क्षितिज भी देख,दिनकर की चमक सतत जग में।

प्रखर अग्नि सा तेज भरा, वीररस के ओजस्वी राष्ट्रकवि।
भानु रश्मि सम तीव्र वेग सी, थी उनकी लेखनी की गति।
रेणुका,कुरुक्षेत्र,उर्वशी एवं, सूरज का ब्याह लिखकर वो,
साहित्य जगत में कीर्तिमान बन,यों चमक उठे ज्यों रश्मिरथी।

कंटक ही कंटक जिन्हें मिले थे,चहुँओर ही जींवन के मग में।
है चकित क्षितिज भी देख,दिनकर की चमक सतत जग में।

पद्म भूषण से अलंकृत,और महाभारत शांति पर्व लिखा।
स्वर्ण वर्णों से दिनकर लिखते, देशभक्ति की दीप्तिशिखा।
नील कुसम, परसुराम प्रतीक्षा, सपनों का धुआं उठाकर,
हिंदी साहित्य शिरोमणि ने निज, संघर्षों से ही सब सीखा।

हुंकार भरती देशभक्ति थी,सदा प्रवाहित जिनकी हर रग में।
है चकित क्षितिज भी देख,दिनकर की चमक सतत जग में।

पढ़िए :- अटल बिहारी वाजपेयी पर कविता


हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

“ रामधारी सिंह दिनकर पर कविता ” ( Ramdhari Singh Dinkar Par Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ  hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।


Image Credit : Prabhasakshi

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *