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उपहार पर कविता
जीवन में आती है बहार,
मिले जब कोई उपहार।
जीवन संघर्ष का है पर्याय,
इसे सहज बनाते है उपहार।
मंगल कामना के साथ,
मंगल कार्यों में मिलते है उपहार।
याद दिलाते हर एक लम्हा,
सम्मुख होता है इजहार।
भारतीय संस्कृति की है पहचान,
भेंट उपहार देते हैं सम्मान।
हर एक इंसान का,
जाग जाता है ईमान।
मानव धर्म भी यही कहता,
क्षमतानूसार करो परोपकार।
आपका भी मन खुश रहेगा,
दूसरा भी खुशी से होगा सरोबार।
उपहार होते हैं अमूल्य,
इनका जीने में है बड़ा हाथ।
समय पर दिए गए उपहार,
भूलने नहीं देते साथ।
इनसे बनते हैं रिश्ते,
प्रगाढ़ व अटूट।
रिश्तो में मिठास व प्रेम बढ़ता,
कभी उनमें नही होने देते है टूट।
जिंदगी में आते हैं कई ऐसे मौके,
जो सबक ही नहीं सिखाते।
देते हैं कई कड़े अनुभव।
अनुभवों को सहजते है,
संवारते है उपहार।
धीरे-धीरे रिश्ते नातों से,
बढ़ता जाता है परिवार।
“रचनाकार का परिचय

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