आप पढ़ रहे हैं विश्व जल दिवस पर व्यंग्य :-

विश्व जल दिवस पर व्यंग्य

 विश्व जल दिवस पर व्यंग्य

जल संरक्षण स्लोगन बन कर…
लटक रहा हर द्वार,
नेताजी चिल्ला कर बोले..
जल बचाओ.. मेरे यार।

कार्यालय में अधिवेशन है
बहस बड़ी जोरदार,
छत पर ऊपर टंकी भर गई…
फैलता रहा जल..
घंटों हुआ बर्बाद,
और नीचे…
सभाएं आबाद।

शोर मचाते, जोशीले मानव..
झंडे लेकर निकले,
अपने घर के नल नहीं देखे..
दिनभर रहते बहते।

मिट्टी के बर्तन ला-ला कर कई दलों ने बांटे..
उन में पानी डाले कौन पांव में चुभते कांटे।

स्वच्छ भारत अभियान का डंका
गली -गली में बाजे..
पानी की बोतल पी -पी कर
सड़कों पर यूंही फेंकें।

सड़कों पर लुढ़की ये बॉटल्स..
सबको मुंह चिढ़ाएं,
पहले खुद का आपा सुधारो,
बाद में नारे लगाएं।

पाइप लाइनें अक्सर फटकर
सड़को को भर देती..
एक नदी भर पानी फैला..
तब नगर निगम सुध लेती।

कमी हमारे तंत्र में खुद में..
पहले खुद को सुधारें,
पहले घर से शुरू करें सब…
बाद में जग को सुधारें।


रचनाकार का परिचय

निमिषा सिंघल

नाम : निमिषा सिंघल
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम.फिल, प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: 46, लाजपत कुंज-1, आगरा

निमिषा जी का एक कविता संग्रह, व अनेक सांझा काव्य संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित हैं। इसके साथ ही अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं की वेबसाइट पर कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।

उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जिनमे अमृता प्रीतम स्मृति कवयित्री सम्मान, बागेश्वरी साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान सहित कई अन्य पुरुस्कार भी हैं।

“ विश्व जल दिवस पर व्यंग्य ” ( Vishva Jal Diwas Par Vyangya ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply